जमशेदपुर में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अनूठी और प्रेरणादायक पहल शुरू हुई है। मेराकी संस्था ने पर्यावरण को हरा-भरा रखने और जंगलों को पुनर्जनन करने के लिए एक अभिनव मुहिम शुरू

जमशेदपुर में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अनूठी और प्रेरणादायक पहल शुरू हुई है। मेराकी संस्था ने पर्यावरण को हरा-भरा रखने और जंगलों को पुनर्जनन करने के लिए एक अभिनव मुहिम शुरू की है, जिसके तहत बीज गोले बनाकर जंगलों में फेंके जा रहे हैं। यह अभियान न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक कदम है, बल्कि स्थानीय समुदाय को रोजगार और प्राकृतिक संसाधनों से जोड़ने का भी एक प्रयास है।
मेराकी संस्था ने सुंदरनगर क्षेत्र के केरुवा डूंगरी पंचायत के जंगलों में इस अभियान को शुरू किया। इस पहल के तहत, संस्था की पूरी टीम स्थानीय महिलाओं और पंचायत के मुखिया के साथ मिलकर जंगलों में मिट्टी के गोले फेंक रही है। इन गोलों में आम, जामुन, इमली, कटहल जैसे फलदार वृक्षों के बीज भरे गए हैं। इन बीज गोलों को विशेष रूप से तैयार किया जाता है, ताकि बारिश के मौसम में ये अंकुरित होकर पौधों में बदल सकें और धीरे-धीरे बड़े वृक्ष बनकर जंगल को हरा-भरा बनाएं।इस तकनीक को सीड बॉल (Seed Ball) तकनीक के रूप में जाना जाता है, जिसमें मिट्टी, खाद, और बीज को मिलाकर छोटे-छोटे गोले बनाए जाते हैं। ये गोले बारिश के पानी के संपर्क में आने पर अंकुरित होते हैं, जिससे पौधों का विकास होता है। यह विधि न केवल लागत प्रभावी है, बल्कि बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण के लिए भी उपयुक्त है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां मैन्युअल रोपण मुश्किल हो।
*मेराकी संस्था की सचिव रीता पात्रों* ने इस अभियान के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा,की हमारा मुख्य उद्देश्य जंगलों को बचाना और पर्यावरण को हरा-भरा रखना है। इस तरह के अभियान हम विभिन्न क्षेत्रों में निरंतर करते रहेंगे, ताकि लोग पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक हों और वृक्षों के माध्यम से उन्हें फल और अन्य लाभ प्राप्त हो सकें।” यह पहल न केवल पर्यावरण को संतुलित रखने में मदद करेगी, बल्कि स्थानीय समुदाय को प्रेरित भी करेगी कि वे अपने आसपास के जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करें।
केरुवा डूंगरी पंचायत के मुखिया कान्हू मुर्मू* ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा,मेराकी संस्था का यह प्रयास बहुत ही सराहनीय है। इससे न केवल जंगल बचेंगे, बल्कि पर्यावरण भी हरा-भरा रहेगा। साथ ही, स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।”
इस अभियान में स्थानीय महिलाओं की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय है। बीज गोले तैयार करने और उन्हें जंगलों में वितरित करने की प्रक्रिया में स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी न केवल सामुदायिक एकजुटता को बढ़ावा देती है, बल्कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में भी मदद करती है। फलदार वृक्षों के उगने से भविष्य में स्थानीय लोग फलों का लाभ उठा सकेंगे, जिससे उनकी आजीविका में भी सुधार होगा।
*समाज सेविका अंजलि श्रीवास्तव ने* इस अभियान को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा, “यह एक बहुत ही अच्छी पहल है। इससे न केवल पर्यावरण संतुलित और सुरक्षित रहेगा, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी एक स्वच्छ और हरा-भरा वातावरण मिलेगा।”उन्होंने यह भी बताया कि इस तरह के अभियान से लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक होंगे और पेड़ों की महत्ता को समझेंगे। फलदार वृक्ष न केवल पर्यावरण को शुद्ध करते हैं, बल्कि स्थानीय समुदाय के लिए भोजन और आय का स्रोत भी बन सकते हैं।
*मेराकी संस्था का यह अभियान झारखंड* के अन्य क्षेत्रों में भी फैलाने की योजना है। संस्था का लक्ष्य है कि अधिक से अधिक जंगलों को हरा-भरा किया जाए और लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित किया जाए। यह पहल न केवल जैव विविधता को बढ़ावा देगी, बल्कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी। फलदार वृक्षों के रोपण से मृदा संरक्षण, कार्बन अवशोषण, और स्थानीय जलवायु में सुधार जैसे लाभ भी प्राप्त होंगे।
*मेराकी संस्था का यह बीज गोला अभियान एक छोटा लेकिन प्रभावशाली कदम है, जो पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक विकास के बीच एक सेतु का काम कर रहा है। स्थानीय समुदाय, विशेषकर महिलाओं की भागीदारी, इस अभियान को और भी खास बनाती है। यह पहल न केवल जंगलों को पुनर्जनन करने में मदद करेगी, समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने और स्थानीय को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में भी योगदान देगी।